11 अप्रैल 2012
नई दिल्ली | केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को 122 लाइसेंस रद्द करने के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर और स्पष्टीकरण लेने के लिए राष्ट्रपति संदर्भ के जरिये इसे सर्वोच्च न्यायालय भेजने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। राष्ट्रपति संदर्भ नोट में शामिल मुख्य प्रश्नों में हैं पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर आवंटित लाइसेंसों का क्या किया जाए।
प्रस्ताव में यह भी पूछा गया है कि नार्वे की टेलीनॉर जैसी कम्पनियों के साथ क्या किया जाए, जिन्होंने बोली लगाने की प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लिया लेकिन संयुक्त उपक्रम में निवेश किया।
भारतीय संविधान की धारा 143 के माध्यम से राष्ट्रपति जनहित के मुद्दों पर सर्वोच्च न्यायालय से पूछ सकता है।
इस मामले में राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील सर्वोच्च न्यायालय से पूछेंगी कि क्या एक प्राकृतिक संसाधन स्पेक्ट्रम की नीलामी करने के लिए सरकार को फरवरी में दिया गया आदेश दूसरे प्राकृतिक संसाधनों पर भी लागू होगा।
उल्लेखनीय है कि तीन दिनों बाद यानी 13 अप्रैल को सर्वोच्च न्यायालय सरकार की समीक्षा याचिका की सुनवाई करेगा।
याचिका में सरकार ने नीलामी के लिए चार महीने की समय सीमा को भी बढ़ाने की मांग की है और कहा है कि प्रक्रिया पूरी करने में कम से कम 400 दिन लग सकते हैं।
सर्वोच्च न्यायालय ने प्रभावित कम्पनियों की समीक्षा याचिका पहले ही रद्द कर दी है।
सरकार ने पिछली बार 2004 में पंजाब और हरियाणा के जल विवाद पर राष्ट्रपति संदर्भ का उपयोग किया था।
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